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मैं अपनी अभिव्यक्ति इन चंद लाईनों से करना चाहूँगी जैसे कुम्हार बाहर से घड़े पर चोट दे देकर उसके सारे दोषों को दूर करता है, वैसे ही मन भी एक आईना है, जो हमारें दोषों और विकारों को उजागर करता है | मैंने अपनी कविताओं के माध्यम से समाज और इंसान को आईना दिखाने की एक तुच्छ कोशिश की है | उम्मीद करती हूँ कि आप लोगों को मेरा ये प्रयास पसंद आयेगा ||
- शकुंतला अग्रवाल
शकुंतला अग्रवाल का जन्म १९६२ में सांपला, हरियाणा में हुआ था ! विवाह १९८१ में श्री श्याम लाल अग्रवाल
निवासी रेवाड़ी के साथ हुआ ! विवाह उपरांत निवास स्थान जयपुर, राजस्थान है !
वह धार्मिक प्रवृति की एक शिक्षित गृहिणी हैं, जो जीवन मूल्यों में विश्वास करती हैं और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों को प्रथम चरण पर रखती हैं ! उन्हें बचपन से ही कविता, पाठ, भजन, नृत्य, संगीत और राजनीति का शौक रहा हैं !
जब भी मौक़ा मिला, उन्होंने अपने शौक को शैक्षणिक काल में भरपूर जिया ! शादी के उपरान्त उन्होंने शौक से ज़्यादा महत्व अपने परिवार को दिया ! उन्हें बचपन से ही सामाजिक कुरीतियों और अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाने में सँकोच नहीं होता था !
यदा - कदा लेखिनी का सहारा भी लेती थी, वो आज भी जीवन्त हैं ! वह जीवन्तता में विश्वास करती हैं ! उनका
मानना हैं, ज़िन्दगी बहुत छोटी हैं, इसे सामाजिक मूल्यों का निर्वहन करते हुए भरपूर जीना चाहिये ! न जाने कब
ज़िन्दगी की शाम हो जाये !