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मन के झरोखे से ( Man ke Zaroke se )

★★★★★
Author | महेन्द्र चावड़ा Publisher | StoryMirror Infotech Pvt. Ltd. ISBN | 9789360700249 Pages | 94 Genre | Short Stories
PAPERBACK
₹170


About the Author - सूर्यनगरी/ब्लूसिटी-जोधपुर (राज.) के महेन्द्र चावड़ा, वर्तमान में राजस्थान उच्च न्यायालय में राजपत्रित अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। कला व साहित्य में अभिरुचि है। साइंस स्ट्रीम से ग्रेजुएट होने के कारण चीज़ों व घटनाओं को तार्किक एवं वैज्ञानिक नज़रिए से समझना एक प्रकार से शुरू से ही इनकी आदत में शुमार रहा है। इनका ये यकीन रहा है कि अनुभव  सृजन की जननी भी है और किसी भी इंसान की सबसे बड़ी पूंजी भी है। कुछ न कुछ पढ़ते रहना व लिखना इनके लिए शुरू से ही आनंददायी पल रहे हैं। म्यूजिक, पुराने गाने और मोटिवेशनल स्पीच सुनना शुरू से ही इनकी हॉबी में शुमार रहे हैं। लाइफ मैनेजमेंट, टाइम मैनेजमेंट, स्ट्रेस मैनेजमेंट, साइकोलॉजी, फिलॉसफी और ह्यूमैनिटीज़ इनके पसंदीदा विषय रहे हैं, जिन पर कुछ न कुछ पढ़ना, लिखना और सुनना इनको सुकून, हर्ष व आनंद की अनुभूति कराता है। जीवन में नवीनता व सफलता के लिए छोटे-छोटे प्रयोग/नवाचार को आज के समय की सबसे बड़ी आवश्यकता मानते हैं। साथ ही साथ रचनात्मक और प्रायोगिक एप्रोच को ही सुखी, आनंदित और ऊर्जावान जीवन का मूलमंत्र मानते हैं। प्रख्यात चिंतक, लेखक और जीवन प्रबंधन विशेषज्ञ परम श्रद्धेय डॉ० विजय अग्रवाल सर को अपना प्रेरणा स्त्रोत और गुरु मानते हैं। अपनी कलम/लेखनी के माध्यम से किसी भी उदास, निराश, हताश अथवा असहाय इंसान के लबों पर हल्की-सी भी मुस्कुराहट लाने को अपनी सबसे बड़ी कामयाबी व सौभाग्य मानते हैं। स्टोरीमिरर पर लेखक को दो बार " ऑथर ऑफ द वीक अवार्ड ” से नवाज़ा जा चुका है। इनकी कई रचनाएँ यहाँ पर पुरस्कृत हो चुकी हैं। इसके साथ ही लेखक डिजिटल साहित्य और प्रकाशन के क्षेत्र में सबसे बड़े पुरस्कार " स्टोरीमिरर ऑथर ऑफ द ईयर अवार्ड- 2022 " हेतु मनोनीत भी हो चुके हैं। एक स्वस्थ, सुखी और सुन्दर समाज की आकांक्षा के साथ ही सामाजिक चेतना/जागरूकता फैलाने को ही लेखक अपना ध्येय और परम सौभाग्य मानते हैं।


About the book - आज की भागती-दौड़ती व रफ़्तार भरी ज़िन्दगी में लगभग-लगभग हर इंसान अपने अंतर्मन में छिपी हुई असंख्य जिज्ञासाओं का समाधान खोजता हुआ महसूस किया जा सकता है। हर इंसान के जीवन में कभी न कभी तो ऐसा वक्त आता ही है जब वो अपने अंतर्मन में छिपी हुई अनेक जिज्ञासाओं को शांत करने में खुद को नाकाम पाता है। इंसानी ज़ेहन में छिपी ऐसी अनेक जिज्ञासाओं का जवाब देती ये पुस्तक सुधि पाठकों को हँसने-गुदगुदाने को विवश करते हुए सामाजिक चेतना, जागरूकता फैलाने में अग्रणी भूमिका निभाती है।








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