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50 अंतरराष्ट्रीय लघुकथाएँ

★★★★★
AUTHOR :
StoryMirror
PUBLISHER :
StoryMirror Infotech Pvt. Ltd.
ISBN :
ebook
PAGES :
68
E-BOOK
₹0



दुनिया के नामी-गिरामी फैशन डिज़ाईनर टॉमी हिल्फिगेर ने एक बार कहा था कि, "मैंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को देखा और मुझे लगा कि, अगर वे ऐसा कर सकते हैं, तो मैं कर सकता हूँ और यदि, वे लोकप्रिय हैं और अच्छा कर रहे हैं, तो मैं उनका मुकाबला कर सकता हूँ।" किसी भी प्रतियोगिता के बारे में इससे अधिक उत्साहवर्धक शब्द कम से कम मैंने तो कहीं और नहीं पढ़े। हम लोग कई बार प्रतियोगिताओं को गैर-ज़रूरी मानते हैं, यह बात कई मायनों में सच भी हो सकती है, लेकिन बावजूद इसके प्रतियोगिता एक अधिक बड़ा सच है - सतयुग में महर्षि-ब्रह्मर्षि से लेकर आज के मिलेनियर-बिलेनियर बनने तक के लिए प्रतिस्पर्धा होती रही है। चाहे परीक्षा की मेरिट सूची हो, पदोन्नति सूची हो या फिर प्रधानमंत्री का बनना, किसी न किसी प्रतियोगिता/प्रतिस्पर्धा का परिणाम ही है। प्रतियोगिता गुणवत्ता, संख्या और परिमाण में भी वृद्धि करती है। स्टोरीमिरर और लघुकथा दुनिया ब्लॉग द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय लघुकथा प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य लघुकथा लेखन को बढ़ावा और उत्तम लेखन को प्रोत्साहन देना था। मुझे लगता है कि इस कार्य में हम काफी हद तक सफल भी हुए। इस प्रतियोगिता में कुल 1099 लघुकथाएं प्राप्त हुईं, जो कि अब तक का एक कीर्तिमान भी है।


हिन्दी साहित्य के इतिहास में पहले कभी लघुकथा को या तो विधा ही नहीं माना गया या फिर उपेक्षित विधा कहा गया। लेकिन बावजूद उसके भी लघुकथा को कभी किसी ने अशक्त नहीं माना। हालांकि मेरा यह मानना है कि यह विधा किसी न किसी रूप में हर युग में हर समय विद्यमान थी। वेदों में निहित विभिन्न कथाएँ, बेताल पच्चीसी, पंचतंत्र आदि लघु आकारीय गद्य रचनाएं आज भी प्रासंगिक हैं, रुचिकर प्रतीत होती हैं और उनमें से कई कालजयी लघुकथाएं भी कही जा सकती हैं। आधुनिक लघुकथाओं में भी निरंतर प्रयोग हो रहे हैं जिससे इस विधा की शक्ति बढ़ती जा रही है। इसी शक्ति को केंद्र में रखकर इस प्रतियोगिता की योजना तैयार की गई थी।


प्रतियोगिता में जिस गुणवत्ता की रचनाएं प्राप्त हुईं थी, इस पुस्तक में लघुकथाओं की संख्या और भी अधिक हो सकती थी, लेकिन नियमों के बंधन ने इसे पचास रचनाओं तक ही सीमित कर दिया। बहरहाल, इस सूची में केवल जाने-माने रचनाकारों के नाम ही नहीं हैं, बल्कि कुछ नए नाम भी हैं। एक-दो तो ऐसे हैं जिन्होंने बहुत कम लघुकथाएं कही हैं, लेकिन उनका लेखन प्रभावित करता है। कुल मिलाकर इन पचास लघुकथाओं में यह सामर्थ्य है कि इनकी खनक आप सभी के कानों को गुंजायमान कर सकें। इन्हें पढ़ कर अपनी राय अवश्य दें।  





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