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About Author:
कोई कहे कि मुझे दस-बारा लाइनों में बयाँ करो.. कोई कहे कि मेरी कविता को दस-बारा लाइनों में पकड़ के दिखाओ। कोई कहे कि मैं जैसी हूँ वैसी कि वैसी उतारो तुम्हारे तस्वीर में… नेहा को, या उसकी नज़्म को दस-बारा लाइनों में बयाँ नहीं किया जा सकता। क्योंकी कोई भी कविता कभी पूरी नहीं होती। कवी सिर्फ़ एक कविता से दूसरे में प्रवेश करता है। उसकी पूरी किताब एक जर्नी होती है। नेहा की “परवाज़” “इंडिया इज माय कंट्री” ये दोनो किताबें नेहा की अलग थलग शायराना सेंसिटिविटी बयाँ करतीं हैं। मुंबई जैसे भिड़ भड़क्के वाले शहर में रहकर इस तरह की सेंसिटिविटी को बरक़रार रखना नामुमकिन है। ये सिर्फ़ वही शख़्स कर सकता है जो पैदाइशी शायराना दिल लेके पैदा हुआ हो। भले ही वो रोज़ अपनी गाड़ी चलाती हुई ख़ुद ऑफिस जा रही होती हैं वो हर वक़्त मुहब्बत में होतीं हैं। ये मुहब्बत सफ़र की होती है, समंदर की होती है, इस शहर की होती है, अकेलेपन की होती है, किताबों की होती है, काम की होती है और नाकाम की भी होती है। नेहा एक ही समय में जहाँ होती हैं वहाँ तो नहीं होती। कवी होने की ये पहली और आख़री शर्त नेहा पूरी करती हैं। उसको चार दीवारों में क़ैद नहीं किया जा सकता.. वो हमेशा एक उड़ान भरने के लिए तैयार पंछी की तरह पंखों में भरी भरी-सी होती हैं। इसी लिए जिसे सिर्फ़ चार दीवारें पसंद हों ऐसी कोई दुनियाँ नेहा की परवाज़ को रोक नहीं सकती।
About book:
संग्रह का शीर्षक "परवाज" एक प्रतीक है उन्नति, स्वतंत्रता और आत्म-सशक्तिकरण का। कविताओं के माध्यम से नेहा गोडघाटे न केवल व्यक्तिगत भावनाओं की अभिव्यक्ति करती हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं। सरल भाषा और गहन विचारों के साथ यह संग्रह पाठकों के मन में एक गहरी छाप छोड़ता है।
इस किताब की भूमिका जानेमाने शायर जावेद अख़्तर साहब ने लिखी है। "परवाज़" नेहा गोडघाटे का कवितासंग्रह है और यह दूसरा संस्करण है। उनकी कविताये संवेदनशील और सशक्त अभिव्यक्ति का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उनकी कविताएं सामाजिक न्याय, समानता, और स्वतंत्रता की भावनाओं को प्रतिबिंबित करती हैं।
जावेद अख़्तर लिखते है, "इन कविताओं में एक ऐसी लड़की भी है जो टूट के पूरी मोहब्बत भी कर सकती है और रुठ के सारी बग़ावत भी। मैं आशा करता हूँ कि नेहा की इस डोरी और पत्थर का दायरा बड़े से बड़ा होता जाएगा और उसकी परवाज़ और नेहा की परवाज़ ऊँचे से ऊँचा आसमान छुएगी।"
परवाज़ का मतलब है उड़ान भरना या ऊँचाई पर जाना। यह शब्द अक्सर उन लोगों के लिए इस्तेमाल होता है जो अपने जीवन में ऊँचाइयों को छूने की कोशिश करते हैं। परवाज़ का मतलब सिर्फ शारीरिक उड़ान नहीं है, बल्कि यह मानसिक और आत्मिक ऊँचाइयों को भी दर्शाता है। जब हम परवाज़ की बात करते हैं, तो हम उन सपनों और लक्ष्यों की बात करते हैं जिन्हें हम हासिल करना चाहते हैं। यह एक प्रेरणा का स्रोत है जो हमें आगे बढ़ने और अपने सपनों को साकार करने के लिए प्रेरित करता है।