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प्यार में सब दिल की बात करते है लेकिन एक और है जो प्यार में अनदेखा रह जाता हैं, वो है आपका दिमाग | दिल-दिमाग की इसी शानदार केमेस्ट्री के बीच, शरीर रूपी राम सहाय अपने को हमेशा दोराहें पर पाता है, इससे निकालने की कोशिश का ही नाम है, ‘प्रीत ना करियो कोई’ |
दिल को लग गया था कि वो एक बार फिर, बेवकूफ बन रहा है लेकिन फिर भी उसने, उसकी बात मान ली और दिमाग चाह कर भी रोक नहीं पाया | “ठंड रखों पाजी, मैं सब ठीक कर दूँगा” यह कहते हुए, दिल ने, दिमाग की बेचैनी को समझ, तसल्ली दे दी थी..
उत्तम जी, मूलतः बिहार के महर्षि विश्वामित्र की तपोभूमि बक्सर जिला (चौसा) के रहने वाले है और स्वभाव से घुमक्कड़ता, उनके पिता जी से विरासत में मिली है | पिता जी की सरकारी नौकरी के कारण इन्हें अगल-अलग जगह के लोगों और संस्कृतियों को जानने और समझने का मौका मिलता रहा है | उत्तम जी का जन्म, झारखण्ड के, गोड्डा जिला में हुआ और शिक्षा, बिहार के मुजफ्फरपुर जिले से प्राप्त की | इनको, किताबों से काफी लगाव रहा है तथा अपने ब्लॉग, ‘teachindiablog.wordpress.com’ एवं यूटूब चैनल पर कभी-कभार एक्टिव रहते हैं | इन्होंने, ‘अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन’, उत्तरकाशी में, तीन साल, सरकारी स्कूलों के बच्चों की शिक्षा को बेहतर करने में अपना योगदान दिया है और वर्तमान में, ‘स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण’ के तहत बिहार में कार्यरत हैं | इनका प्रयास, समाज के हर वर्ग को अच्छी और टिकाऊ शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने का रहा है, एक ऐसी शिक्षा, जिसकी बात महात्मा गाँधी जी ने ‘नई तालीम’ के रूप में कही | ‘बयार’ के नाम से, ‘volunteer youth forum’ बना, छोटी सी कोशिश, इन्होने, अपने ही गाँव से शुरू की थी | लेकिन अभी तक, इसमें, कोई खास सफलता नहीं मिल पाई है | साथ ही, यह अभी, अपनी अगली किताब पर भी काम कर रहे हैं, जिसमें, मानव होने की विशालता और उसके महत्त्व से सम्बंधित प्रेरणादायक कहानियों से, सभी लोगों का मन छूने का प्रयास करेंगे |